शनिवार, 21 जून 2025

भारत का मौन विस्फोट: बेरोजगारी की आग में जलती युवा पीढ़ी"



21 जून 2025 की सुबह जब योगमय भारत विश्वगुरु बनने का सपना देख रहा था, उसी वक्त देश का नौजवान पेट की आग बुझाने को संघर्ष कर रहा था — यह लेख उसी अंतर्विरोध पर एक दृष्टिपात है।

प्रमुख उद्धरण (Highlighted Quotes for Boxed Display):"रोज़गारहीनता केवल एक आर्थिक समस्या नहीं, यह भारत के भविष्य का सबसे बड़ा नैतिक और सामाजिक संकट है।"

"युवा डिग्रियों के साथ बेरोज़गारी का बोझ ढो रहे हैं; यह लोकतंत्र के लिए अलार्म बेल है, जिसे नजरअंदाज करना आत्मघात होगा।"

🔵 "स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया तब तक खोखले नारे रहेंगे जब तक नौकरी पाने वाला हाथ निराश खड़ा रहेगा।"

लेआउट सेक्शन (Recommended Section Layout)

 1. परिचय: समस्या की भूमि]

  • देश का परिदृश्य — योग दिवस की खुशी और बेरोजगारी का दर्द

  • युवाओं की स्थिति का प्रारंभिक वर्णन

 2. आँकड़ों की ज़ुबानी: बेरोजगारी की तस्वीर]

  • NSO और CMIE जैसे स्रोतों के ताजे आँकड़े

  • ग्रामीण बनाम शहरी बेरोज़गारी दर

  • शिक्षित बेरोज़गारों की वृद्धि

 3. जड़ें और जिम्मेदारियाँ]

  • सरकारी योजनाएं बनाम जमीनी हकीकत

  • शिक्षा और उद्योगों के बीच का अंतर

  • नीति और क्रियान्वयन का टकराव

 4. समाज पर प्रभाव: मानसिक और नैतिक पतन]

  • अवसाद, अपराध, आत्महत्या, और पलायन

  • युवाओं में बढ़ता असंतोष

 5. समाधान की ओर पहल]

  • नीतिगत सुधार

  • शिक्षा और कौशल का तालमेल

  • पारदर्शी सरकारी भर्तियाँ

  • ग्रामीण उद्योग और स्वरोजगार को बढ़ावा

 6. निष्कर्ष: भविष्य की दिशा]

  • लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था की नींव — रोज़गार

  • 2047 के सपने की पूर्ति बेरोजगार युवा से नहीं होगी

  • अंतिम चेतावनी और आशा की किरण

विज़ुअल सुझाव (Graphic Elements for Layout):

  • एक तरफ योग करते लोगों की तस्वीर, दूसरी ओर रोजगार मेले की लंबी कतार

  • ग्राफ/पाई-चार्ट: भारत में बेरोज़गारी दर राज्यवार

  • युवाओं के इंटरव्यू से 1-2 संक्षिप्त "मानव-कोट्स" या जीवन-संघर्ष की कहानियाँ

सोमवार, 4 मार्च 2024

BJP से टिकट मिलने के 24 घंटे के भीतर पवन सिंह ने किया चुनाव लड़ने से इनकार, बताई ये वजह

 

बीजेपी ने पवन सिंह को पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से टिकट दिया था. यहां से वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा सांसद हैं.















बीजेपी की तरफ से शनिवार (2 मार्च) शाम लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की गई. इसमें भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह को भी टिकट दिया गया. बीजेपी ने पवन सिंह को पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया. हालांकि, टिकट मिलने के 24 घंटे के भीतर ही पवन सिंह ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. उन्होंने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. 


भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को दिल से आभार प्रकट करता हु। पार्टी ने मुझ पर विश्वास करके आसनसोल का उम्मीदवार घोषित किया लेकिन किसी कारण वश में आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ पाऊंगा…
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टीएमसी ने बंगाली महिलाओं के 'अपमान' पर पवन सिंह को घेरा

दरअसल, जैसे ही पवन सिंह का नाम आसनसोल सीट के लिए बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर घोषित किया गया, वैसे ही तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया. टीएमसी ने पवन सिंह के जरिए बंगाली महिलाओं को लेकर गाए गए गानों को लेकर उन्हें निशाने पर लिया. टीएमसी नेताओं ने पवन सिंह के गानों के पोस्टर शेयर करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति ने बंगाली गीत, संस्कृति और महिलाओं का अपमान किया है, उसे बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है.

टीएमसी के कुछ नेताओं ने सोशल मीडिया पर भोजपुरी सिंगर के कुछ गानों की वीडियो शेयर की और कहा कि इसमें साफ तौर पर वह महिलाओं का अपमान कर रहे हैं. टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी, पार्टी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले समेत कई सारे नेताओं ने पवन सिंह की उम्मीदवारी पर सवाल खड़ा किया था. 

टीएमसी नेताओं ने क्या कहा? 

राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने ट्वीट कर कहा, 'मुझे रविवार सुबह आपके न्यूजफीड पर ये सब लाने के लिए दुख है. लेकिन पीएम मोदी के पाखंड को दिखाने के लिए ऐसा करना जरूरी है. बीजेपी ने कल भोजपुरी गायक पवन सिंह को पश्चिम बंगाल के आसनसोल से अपना लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया. पवन सिंह ऐसे वीडियो बनाते हैं, जो बेहद अश्लील और महिला विरोधी होते हैं. उन्होंने अपने गानों से बंगाल की महिलाओं को निशाना बनाया है.'

वहीं, जब पवन सिंह ने आसनसोल से चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया तो साकेत गोखले ने उनके ट्वीट को कोट करते हुए रिप्लाई भी दिया है. टीएमसी नेता ने कहा, 'पश्चिम बंगाल की 42 सीटों में से बीजेपी ने चुनाव की घोषणा होने से पहले ही एक सीट सरेंडर कर दी.'


टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने पवन सिंह के चुनावी मैदान से पीछे हटने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा, 'पश्चिम बंगाल के लोगों की अदम्य भावना और शक्ति.' इसी तरह से डेरेक ओब्रायन ने भी कहा है कि खेला शुरू होने से पहले ही खेला होबे हो गया. 




10 मार्च को रेलवे के चक्का जाम का ऐलान, किसान बोले- पैदल, बस और ट्रेन से 6 मार्च को पहुंचें दिल्ली, पढ़ें प्रदर्शन का पूरा प्लान

 

 आंदोलनकारी किसान फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मांगों को लेकर पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर डटे हुए हैं.

Farmer Protest: किसान आंदोलन जारी है. इस बीच किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर ने रविवार (3 मार्च. 2024) को कहा कि हमारा दिल्ली चलो मार्च टला नहीं है. मांगें नहीं माने जाने तक हमारा विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. 

जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, ''मैं साफ कर देना चाहता हूं कि दिल्ली जाने का कार्य़क्रम टला नहीं है. हम इससे पीछे नहीं हटे हैं. केंद्र सरकार को घुटने के बल लाने के लिए हमने रणनीति तय की है. हम जिन सीमाओं पर बैठे हुए हैं, वहां संख्या बढाएंगे. दूसरे बॉर्डर पर भी किसानों को लाने का प्रयास करेंगे.''

डल्लेवाल ने आगे कहा कि हमने तय किया है कि 6 मार्च को पूरे देश से हमारे लोग रेल, बस और हवाई मार्ग से (दिल्ली) आएंगे. हमारा 10 मार्च को 12 से 4 बजे तक रेल रोको आंदोलन होगा. हम लोग अपील करते हैं कि इसमें ज्यादा से ज्यादा लोग शामिल हो. 

सरवन सिंह पंढेर क्या बोले?

पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने भी डल्लेवाल की बात दोहराते हुए कहा कि खनौरी और शंभू सीमाओं पर बैठे किसान अपना आंदोलन चलाएंगे. उन्होंने आगे कहा कि  बीजेपी ने अजय मिश्रा टेनी को टिकट देकर किसानो का अपमान किया है.

किसानों करेंगे महापंचायत
किसान 14 मार्च को ‘किसान महापंचायत’ भी करेंगे. इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इसमें 400 से अधिक किसान संघ भाग लेंगे. एसकेएम ने उसने संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) को एक प्रस्ताव भेजा एकता की अपील की है. 

किसानों की क्या मांग है?
फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों व कृषि मजदूरों के लिए पेंशन और  कृषि ऋण माफ करने सहित आंदोलनकारी किसानों की कई मांगें हैं. 




रविवार, 3 मार्च 2024

बीजेपी के सिंबल पर पहली बार मैदान में होंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया, जानें गुना सीट का सियासी गणित

 


 बीजेपी ने गुना लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है. ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

 भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी. बीजेपी की ओर से  शनिवार को 195 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई. मध्य प्रदेश की 29 में से 24 सीटों के लिए भी उम्मीदवार घोषित कर दिए गए. बीजेपी ने गुना लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान में उतारा है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया पहली बार बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं. इससे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया साल 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े थे. वह गुना सीट पर बीजेपी उम्मीदवार कृष्णपाल सिंह यादव से हार गए थे. तब सिंधिया को 4,86,105 वोट मिले थे और वह लगभग 1.25 लाख वोटों के अंतर से मुकाबला हार गए थे. गुना लोकसभा सीट 1957 से ही सिंधिया परिवार का गढ़ मानी जाती है. यहां अब तक जितने चुनाव हुए उनमें बीजेपी को जीत तभी नसीब हुई, जब  उसने यहां से विजयाराजे सिंधिया को मैदान में उतारा.

गुना से 14 बार 'महल' के ही उम्मीदवार को ही मिली जीत
वहीं बात की जाए गुना लोकसभा सीट से पार्टियों के हार जीत की तो यहां हुए अब तक हुए चुनावों में नौ बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई. बीजेपी यहां पांच बार, एक बार जनसंघ और एक बार स्वतंत्र पार्टी जीती. यहां 1952 से 2019 तक 16 लोकसभा चुनाव हुए. एक दिलचस्प आकंड़ा ये भी है कि यहां 14 बार ‘महल’ के ही उम्मीदवार को जीत हासिल हुई, गुना के जातिगत समीकरण को देखा जाए तो यहां अनुसूचित जनजाति की आबादी सबसे अधिक  दो लाख 30 हजार से ज्यादा है. उसके बाद अनुसूचित जाति की आबादी है, जो एक लाख से अधिक है.

वहीं यहां  ब्राह्नण 80 हजार, यादव 73 हजार, कुशवाहा 60 हजार, रघुवंशी 32 हजार, मुस्लिम 20 हजार और वैश्य जैन-20 हजार हैं. गुना की कुल जनसंख्या की बात की जाए तो यहां की जनसंख्या 24 लाख 93 हजार 675 है. यहां कुल वोटर्स की संख्या 11,78,423 है.