गुरुवार, 31 जनवरी 2019

डीएचएफएल ने किया 31,000 करोड़ का घोटाला, अवैध तरीके से दिया भाजपा को चंदा


(फोटो साभार: विकिपीडिया)

(फोटो साभार: विकिपीडिया)

खोजी पत्रकारिता करने वाली न्यूज़ वेबसाइट कोबरापोस्ट ने दावा किया है कि हाउसिंग लोन देने वाली कंपनी डीएचएफएल ने कई शेल कंपनियों को करोड़ों रुपये का लोन दिया और फिर वही रुपया वापस उन्हीं कंपनियों के पास आ गया जिनके मालिक डीएचएफएल के प्रमोटर हैं. आरोप है कि इस तरीके से कंपनी ने करीब 31 हजार करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी की.


नई दिल्ली: निजी क्षेत्र की एक नामी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कोऑपरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) पर 31 हजार करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी का आरोप लगा है.
खोजी पत्रकारिता करने वाली न्यूज़ वेबसाइट कोबरापोस्ट का दावा है कि उनकी पड़ताल में पता चला है कि डीएचएफएल ने कई शेल कंपनियों को करोड़ों रुपये का लोन दिया और फिर वही रुपया वापस उन्हीं कंपनियों के पास आ गया जिनके मालिक डीएचएफएल के प्रमोटर हैं.
आरोप है कि इस तरीके से डीएचएलएफएल द्वारा करीब 31 हजार करोड़ से ज्यादा की हेराफेरी की. दावा है कि ये संभवत: देश का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला हो सकता है.
कोबरापोस्ट ने सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सूचना और सरकारी वेबसाइट से मिली जानकारी के आधार पर इस कथित घोटाले का खुलासा हुआ है.
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि डीएचएफएल से जुड़ी कंपनियां- जैसे आरकेडब्ल्यू डेवलपर्स, स्किल रियल्टर्स और दर्शन डेवलपर्स- शेल कंपनियां हैं और इन्होंने पैसों की धोखाधड़ी की है.
कोबरापोस्ट की जांच में यह भी दावा किया गया है कि 2014 से 2017 के बीच, इन तीन कंपनियों ने अवैध रूप से भाजपा को लगभग 20 करोड़ रुपये का चंदा दिया.
29 जनवरी को कोबरापोस्ट ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर ‘द एनाटॉमी ऑफ इंडियाज बिगेस्ट फाइनेंशियल स्कैम’ नाम से अपनी ये रिपोर्ट जारी की. इस दौरान कोबरापोस्ट के संपादक अनिरुद्ध बहल, पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा, पत्रकार जोसी जोसेफ, परंजॉय गुहा ठाकुरता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण मौजूद थे.
डीएचएफसीएल वधावन ग्लोबल कैपिटल के स्वामित्व वाली एक सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध गैर-बैंकिंग वित्त कंपनी है. कपिल वाधवन, अरुणा वाधवन और धीरज वाधवन डीएचएफएल के मुख्य साझेदार हैं.
कोबरापोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, डीएचएफएल के प्रमोटरों ने वधावन समूह के स्वामित्व वाली शेल कंपनियों को वित्तीय नियमों का उल्लंघन करते हुए हजारों करोड़ रुपये का उधार देने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों से कथित रूप से असुरक्षित ऋण लिया.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डीएचएफसीएल ने वधावन समूह द्वारा नियंत्रित कंपनियों को 10,000 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए. आरोप है कि बदले में इन कंपनियों ने तब भारत और अन्य देशों जैसे यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका और मॉरीशस में शेयरों, इक्विटी और अन्य निजी संपत्तियों का अधिग्रहण करने के लिए इस धन का इस्तेमाल किया.
कोबरापोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, डीएचएफएल की कुल जमा पूंजी या माली हैसियत साल 2017-18 के वित्तीय ब्योरे के मुताबिक 8795 करोड़ रुपया है. इस कंपनी ने अलग अलग बैंको और वित्तीय संस्थानो से 98718 करोड़ रुपए का कर्ज हासिल कर लिया.
आरोप है कि यह कर्ज अलग-अलग तरीके से हासिल किया गया है. इस कर्ज राशि से डीएचएफएल ने 84982 करोड़ रुपए की धनराशि कर्ज के रूप में दे दी है. डीएचएफएल की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने कुल मिलाकर 36 बैंको से उपरोक्त धनराशि कर्ज में जुटाई थी. इन बैंको में 32 सरकारी और निजी के अलावा छह विदेशी बैंक शामिल हैं.

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